प्रभु का मिलना कठिन नही जितना हमारा सरल होना कठिन है

 भक्त की भावना अगर प्रबल हो तो राम सब समय प्रकट हो सकते है। सही तो यह है कि प्रभु का मिलना कठिन नही जितना हमारा सरल होना कठिन है। भगवान शिव की आंखे राम के उच्चारण के साथ अश्रुपात करने लगती है। यह उनका राम प्रेम तो ही है। उक्त उद्गार संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत गायत्री मंदिर के पास विजयनगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा में तीसरे दिन व्यासपीठ से कन्नौद से पधारे आचार्य पं. भरत चौबे ने कहीं। प्रमोद व्यास ने बताया कि कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित हुए एवं भजनो पर नृत्य किया।


 


व्यासपीठ की आरती मुख्य अतिथि कवि एवं एड. पंकज जोशी ने की। महाराज श्री ने कहा कि श्री दिव्य भगवान के अवतार के प्रसंग में शास्त्रों में अनेक मत है, लेकिन असली सिद्धांत भक्त की आतुरता ही है। राम जन्म के पश्चात भगवान शंकर काग भुशू जी को साथ लेकर अवध पधारते है। दशरथ रूपी ज्ञापन के कोशल्या रूपी भक्ति जब दोनों मिल जाते है तब राम का प्राकट्य होता है। प्रत्येक साधक अपने हृदय को अवध बनाये तो राम प्राकट्य अवश्य होंगे। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक चलेगी।